Above picture has been photographed by me at Ancient Dwarika of Bhagwan Krishna - where the artificial Island has been converted in a Horse Shape. This entire structure is now sea submerged 30 feet below the sea water. This is a blow which gives negative narratives of Indian History. Some more than 100 rare and revealing photographs are also published in my book- revealing time and period of Bhagwan Krishna.
I can be contacted at birendrajha03@yahoo.com
This is again Camel Shape Island found in Ancient Dwarika - This is man made artificial island like the above Horse Island . This is also sea submerged 30 feet below the Sea Water.
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I hate Eminent Historians ( EH ) as they have formed a paralysed generation in my nation to think correctly. Thapar is one of the EH. The distant relative of Jawaharlal Nehru. She is now charging present Modi Government for moving India on edge of becoming Hindu nation. Her foolish headline did not surprised me. Recently she was addressing viewers on a Facebook Live session organised by a Delhi University students-led initiative, Karwaan, focusing on the writing of history. As a historian, she is in error from day one, when this country was divided on two nation theory. The division was purely based on religion. She is in error that "Aryan" is neither a race nor any archaeological proofs are there. Yet she glorifies the bogus and foolish perception of the Aryan Invasion at 1500 BCE.
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She was trained under A.L. Basham, at the School of Oriental and African Studies in London. Her doctorate was on Ashoka and the decline of the Mauryan empire. She was commissioned by Penguin to write "History Of Early India", which paralysed our young generation and produced more toddlers than real intellectual. On Ram & Krishna she has shown her ugly academic face. Through various forums she is violent now over Modi Government , Allahabad High Court and Supreme Court Rulings on Ayodhya.
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She is soft towards Muslim Invasion in India and great admirer of Baber rather than Krishna. She was the one, which sponsored "Frontline" in 2000 to attack my father and his enlightened worker Dr Navaratna S Rajaram from Bangalore. The attack was very violent. It was not academic. No ancient Rules were followed to do any academic discourse. She charged violently for changing the historical base of the Harappans and India which knows "No Horse"before 1500 BCE. When she was highlighted horse use at the Mahabharata, some hundred years before Harappa. The entire Mahabharata , including Krishna were made mythical. Even charges were placed against my father to be the RSS agent working with motif to support the hidden agenda of the RSS for converting India into a Hindu Rashtra.
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This was way back 2000. At that time social media was not so strong or available just like Facebook today. It took me 20 years to search the lost Horse of Krishna submersed in the Gulf of Kutch ( See Picture ). Where is now Thapar ! She has no courage to debate on the subject. She is using Marxist Forum - "Caravan" in very ugly way - Now she has charged the Modi Government for changing this country towards Hindu Rashtra!
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Hindu Rashtra is much better than the paralysed generation and toddlers what Thapar produced.
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मैं "विशिष्ट इतिहासकारों" से घृणा करता हूँ . इसके कई कारण हैं . जिसमे एक प्रबल कारण है भारतीय हिन्दू सभ्यता को विदेशी बताना . थापर उन विशिष्ट इतिहासकारों में एक हैं . थापर, नेहरू के एक दूरस्थ पारिवारिक रिश्ता में है . उन्होंने अनेक वर्षों तक जवाहरलाल यूनिवर्सिटी में एक लंगड़ी फौज बनाई है . हाल के दिनों में फेसबुक पर उनका व्याख्यान - "भारत हिन्दू राष्ट्र की ओर" अब मुझे बिलकुल आश्चर्यचकित नहीं करती. ये आजकल मोदी सरकार तथा माननीय सुप्रीम कोर्ट के विरुद्ध अयोध्या निर्णय के बाद कुछ अधिक आक्रामक हैं . ये भूल जाती हैं कि भारत जिस दिन दो राष्ट्र के आधार पर विभक्त हुई. उसी दिन हिन्दू ओर इस्लामिक विचारधारा की स्पष्ट रेखा खींच दी गयी . यह अलग बात है भारत ने हिन्दू विचार दर्शन को बहुआयामी बनाते हुए हिन्दू से इतर धर्म के लोगों को भी समाविष्ट किया . इसे आप कुछ भी कह सकते हैं . वे आर्य आक्रमण के प्रबल पक्षधर हैं ओर भारतीय हिन्दू जमात को बाबर जैसा आक्रमणकारी हमलावर मानती हैं .
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ए.अल .बाशम के निर्देशन में उनकी शिक्षा लन्दन में हुई. मौर्य काल पर उनका डॉक्टरेट है . पेंगुइन ने "प्राचीन भारत का इतिहास " लेखन के लिए उनका चयन किया था . इस पुस्तक ने एक लंगड़ी जमात भारत में खड़ी की है . राम तथा कृष्ण के विषय में घृणित अकादमिक चेहरा थापर ने दिखाया है. मुस्लिम हमलावरों के प्रति हमेशा उनकी नरम रवैया रही है . बाबर को कृष्ण से भी महान सम्राट बतलाने की नादानी थापर ही कर सकती हैं . ये वही विशिष्ट इतिहासकार हैं जिन्होंने सं २००० में " फ्रंट लाइन " को मेरे पिता तथा उनके विशिष्ट सहयोगी डॉ नवरत्न एस राजाराम के विरुद्ध हमला करने के लिए प्रयोग किया . यह अकादमिक लड़ाई नहीं थी . न ही कोई प्राचीन नियम के अनुसार शास्त्रार्थ करने के किसी नियम का सम्मान किया गया था . यह व्यक्तिगत हमला था. मेरे पिता के विरूद्ध भारत में हिन्दू राष्ट्र बनाने के लिए आर. एस.एस का एजेंट होने का भी इल्जाम लगा दिया गया.
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ये घटना सं २००० की है . थापर का इल्जाम था कि हड़प्पा के लोग घोड़ा नहीं जानते . घोड़ा आर्य आक्रमण के समय भारत में प्रवेश करती है . उन्हें जब बताया जाता है कि हड़प्पा से १०० वर्ष पहले महाभारत काल में कुरुक्षेत्र के रण के मैदान में घोड़े का प्रयोग मिलता है तो सम्पूर्ण महाभारत ओर कृष्ण को थापर ओर उनकी जमात ने मिथक बता दी और यह कह दी गयी की ये आर.अस.अस का सुनियोजित षड़यंत्र है. ये उन दिनों की घटना है जब फेसबुक जैसी सोसियल मीडिया भारत में नहीं थी .
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द्वारिका के विशाल कच्छ के समुद्र में भगवान कृष्ण का लापता घोड़ा ढूंढने में कोई बीस वर्ष बीत चुके हैं (चित्र देखें) . थापर के पास आज क्या जवाब है ! थापर ने एक लंगड़ी ओर अपाहिज समुदाय भारत में खड़ी की है - जो बोल नहीं सकती - लिख नहीं सकती! थापर आज मुझसे विवाद करने का साहस और सामर्थ्य नहीं रखती. वे कहीं छिप गयी हैं और छद्म रूप से "कारवाँ" जैसे मार्क्स विचारधारा वाली फोरम से मोदी सरकार के विरुद्ध गुरिल्ला आक्रमण करती हैं कि- भारत को यह सरकार हिन्दू राष्ट्र बना रही है .
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हिन्दू राष्ट्र उस अपाहिज समाज से तो अच्छा है जो थापर ने बनाया .
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