Posts

प्रमाण आधारित खोज रिपोर्ट : कच्छ के रण में एक दिन Evidence Based Discovery Report: Rann of Kutch

Image
☝चित्र १ :  वलय के आकार के दो दीवार नगर को घेरे हुए स्पष्ट दिख रही है. सबसे ऊपर के दीवार के अंदर तीन पोत के  हेंगर भी बनी दिख रही है - The two half circles are protecting the city houses, when sea water was outside the half circle. There is running  wall enclosure beyond the semi circle wall. In between the semi circle wall and the running  wall - sea water was present. Just after the semi circle wall again sea water was filled intentionally to secure the fort. This water was filled inside the trench shown just after the semi circle wall. This is exactly the replica of the various sea forts  of the submerged Dwarka.     नमक. नमक की सफ़ेद चादर ओढ़े, कच्छ के विशाल  रण द्वारका के वैभव के साक्षी हैं. यह ऐसी  नहीं थी जैसा आज दिख रही है. ५१०० वर्ष पहले यहां विशाल समुद्र थी, जिसका पानी  तीव्र भूकंप में  कच्छ के खाड़ी में एकाएक चली गई. यह पानी फिर वापस न लौटी . १८१९ में फिर एक तीव्र भूकंप आई, उसने  कच्छ के विशाल  रण को सफ़ेद चादर में परिवर्तित कर दिया. द्वारका की ही तरह  सुरक्षित समुद्र से घिरी  ट

Bhagwan Krishna - The Real Owner of Kohinoor

Image
                                                             Babar wrote "Such precious gems cannot be obtained by purchases; either they fall to one by the arbitrament of the flashing sword, which is an expression of Divine Will or else they come through the grace of might monarchs". Regarding this precious Diamond, a case was filed at Delhi before the Hon'ble Supreme Court in 2017 for the retrieval of the "Shyamantak Mani" ( The Kohinoor Diamond ) from Britain. The reply submitted by the Government of India, brings new facts. In 1956 Pandit Nehru declined to claim back Diamond. In the words of Pandit Nehru "To exploit our good relations with some country to obtain free gifts does not seem to be desirable." In 1970 UNESCO Convention Article 15, cleared  the passage of cultural property. India and Britain both have signed the bill. This has moved the passage of retrieval of Kohinoor Diamond. This is the property of Bhagwan Krishan. This is required to

रामसेतु

Image
  "ऐसा दो वरदान, कला को कुछ भी रहे अजेय नहीं, रजकण से ले पारिजात तक कोई रूप अगेय नहीं।" भारत और लंका के ऐतिहासिक स्मृति को जोड़ने वाली रामसेतु,  भारत में संदेह की दृष्टी से देखी  जाती है .   वहीं श्री लंका की सरकार इसे ऐतिहासिक मानती  है.  दो सरकार दोनों के अलग-अलग दृष्टीकोण.    रामसेतु  पर जो वैज्ञानिक खोज होनी चाहिए  थी,   वह नहीं की गई.  यह रुचि और सामर्थ्य का अभाव  था.   हमारी कहानी शुरू होती है रामायण के काल खंड से जब भगवान राम की विशाल सेना ने लंका की  यात्रा  की.  लंका जाने के लिए पुल का निर्माण किया. लंका को युद्ध में जीता. तत्पश्चात भगवान राम,  लंका से लौटने के बाद सामरिक सुरक्षा में पुल को तोड़ दी .   आज  की तकनीक इतनी उन्नत है की हम बहुत कुछ इसके विषय में जान सकते हैं।  मैंने प्रारंभिक जांच सेटेलाइट से की है।  जिसकी सूचना अत्यंत चकित करने वाली  है.   यह एक  नई  खोज है जिसकी जानकारी वैज्ञानिक समुदाय को नहीं है.      सेटेलाइट की सूक्ष्म दृष्टि ने भारत से लंका को जोड़ने वाली एक  प्राचीन स्थल मार्ग पकड़ी है.   यह प्राचीन स्थल मार्ग रामायण काल, से भी अत्यंत प्राचीन काल से अ

ज्ञानवापी

Image
☝ज्ञानवापी मस्जिद के भीतर का दृश्य . लन्दन के ब्रिटिश लाइब्रेरी में १९वीं शताब्दी के शुरुआत में ली गई ज्ञानवापी का चित्र. यह कूप दीवार से घिरी है  मत्स्य पुराण में विश्वनाथ मंदिर का वर्णन मिलता है. इसमें अविमुक्तेश्वर, विश्वेश्वर और ज्ञानवापी का उल्लेख किया गया है. इसके बाद स्कंदपुराण में भी उल्लेख किया गया है. स्पष्ट है ज्ञानवापी  पुरातात्विक महत्त्व की सम्पदा है. शिवाजी महाराज को आगरा कारागार से छद्म रूप में राजा जय सिंह - प्रथम ने भाग निकलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. औरंगजेब ने इसका उत्तर बनारस के मंदिर को तोड़ कर दी. यह सर्वविदित तथ्य  है की  चाटुकार इतिहासकार इस बात को नहीं मानते. संयोग से  मत्स्य पुराण में  जिस ज्ञान वापी का वर्णन मिलता है वह यूरोप  के  प्रतिष्ठित भ्रमणकारी फोटोग्राफरों ने इसका चित्र संकलन ली है जो ब्रिटिश लाइब्रेरी, लन्दन  में संगृहीत है.   कुछ लोग "प्लेस औफ वरशिप एक्ट १९९१"   के आधार पर  इस स्थान को पर्यवेक्षण के अधिकार से वंचित रखना चाहते हैं.   यह १९९१ की वह कांग्रेस क़ानून है, जिसने  काशी और मथुरा का रास्ता हिन्दू आस्थावान लोगों के लिए बंद कर द

"शिशुपाल वध" और द्वारका की अश्व किला

Image
  ☝माघ रचित "शिशुपाल वध" में द्वारका के अश्व किला का विहंगम वर्णन अनायास नहीं मिलती. प्राचीन सूचना के आधार पर माघ ने द्वारका का विहंगम चित्रण खींचा है. जिसका भारतीय संस्कृत साहित्य में जोड़ा नहीं    "होगी सफलता क्यों नहीं कर्त्तव्य पथ पर दृढ़ रहो॥ अधिकार खो कर बैठ रहना, यह महा दुष्कर्म है" अनमने  भाव से भारत के लोगों  ने  भगवान कृष्ण को जाना है. हमारे इतिहासकार तो कुछ बोलते ही नहीं.  हमारे कथावाचक और माघ   जैसे प्राचीन साहित्यकार  अपने इष्टदेव भगवान कृष्ण का गुण गान करते हैं. भागवत के जरासंध वध के स्थान पर चेदिनरेश पराक्रमी  शिशुपाल का वध तो कोई साधारण मनुष्य कर नहीं सकता. माघ की "शिशुपाल वध" में भगवान कृष्ण के वीरतापूर्ण - तेजोमय स्वरूप की चित्रण प्राप्त होती है. बुद्धिमान माघ ने भगवान कृष्ण के लिए प्राचीन ऐतिहासिक  शब्द  सम्बोधन में  वराह , आदिवराह तथा  महावराह कहा है.   भगवान  बलराम,  शिशुपाल को चेदि राज्य में वध की बात करते हैं. भगवान कृष्ण ने इस योजना का  समर्थन नहीं  किया. योजना बनती है शिशुपाल को   चेदि राज्य  से बाहर तथा युधिष्ठिर के राजसूय यज्ञ  मे

Analogue Technology: Oil Source Detection Tool

Image
     ☝ The Dwarka of Bhagwan Krishna is in danger. The petroleum wastes have killed the marine environment of this area.  The orange color petroleum wastes coming from  the ship is a daily affair. It shall kill the Dwarka Island.  Save it before it is too late.      I have demonstrated the effective use of the Analogue Technology in detecting the undersea archaeological materials - up to the level where Sunlight travels effectively. Now I am demonstrating how the Analogue Technology has been used in tracking the oil pollution. The oil pollution has been responsible for damaging the marine life of the Dwarka of Bhagwan Krishna. The rate of damage is fearful. The petroleum wastes have killed mangroves. Any moment, Bhagwan Krishna island may be washed away by sea. While tracking the oil pollution, by chance I have discovered and detected, somewhere in the Indian site,  a large Oil Rig. I have called it the "Krishna Oil Rig". This Oil Rig is larger then the Mumbai High. This Oil

माता सीता के अधिकार की रक्षा

Image
  (भारत के समस्त स्त्री जाति के अधिकार की  रक्षा में   यह लेख तकनीकी रूप से न्याय के जानकार लोगों के लिए लिखी गई है. विषय वस्तु कहीं कठिन प्रतीत हो सकते हैं ) यह  सच है  प्राचीन भारत की न्याय विधि बहुत प्रतिभाशाली है.  यह  भारत की ऐसी महान ज्ञान तथा संपत्ति है जो पुस्तकों तक ही सीमित रह गई. जब इस प्राचीन न्याय सूत्र के जानकार न रहे तो हमारे न्याय व्यवस्था के निपटारे में हमें दूसरी न्याय सूत्र देखने पड़ते हैं. भारतीय संविधान का एक सुन्दर पक्ष यह है की प्राचीन न्याय सूत्र  भारत के न्याय प्रशासन के आवश्यक भाग रहे हैं.  यह अलग बात है इस प्राचीन न्याय सूत्र के जानकार अब रहे नहीं, इसलिए भारत के न्यायालय में प्राचीन न्याय सूत्र का उल्लेख नहीं दिया जाता.  जस्टिस मार्केण्डय काटजू   के बाद प्राचीन न्याय विधि में  पारंगत विद्वान नहीं मिलते. मनुस्मृति १०६ तथा १८७ एक जटिल न्याय सूत्र देती है जब पिता  की मृत्यु हो जाती है तो उसकी पूरी संपत्ति उसके "सपिण्ड" को प्राप्त होती है. आश्चर्य यह होती है, विश्व के सभ्य से सभ्य देश के न्याय प्रक्रिया ने प्राचीन मनु स्मृति के न्याय सूत्र को ही रखा है.