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भगवान परशुराम की प्रतीक्षा

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        हम उसी धर्म की लाश यहाँ ढोते हैं, शोणित से सन्तों का कलंक धोते हैं। यह गहन प्रश्न; कैसे रहस्य समझायें ? दस-बीस अधिक हों तो हम नाम गिनायें। पर, कदम-कदम पर यहाँ खड़ा पातक है, हर तरफ लगाये घात खड़ा घातक है। यह पाप उन्हीं का हमको मार गया                                                       भारत अपने घर में ही हार गया है।                                  सुनते हैं भगवान परशुराम चिरंजीवी हैं. वे जहां भी हों तत्क्षण आशीर्वाद दें.  आज  भगवान  परशुराम बड़े खुश होंगे. कई वर्षों के बाद प्राणहीन भारत ने   भगवान  परशुराम को पुनः देखा है. आलमगीरपुर एक घृणित इस्लामिक नाम है. इसका असली नाम "परशुराम -खेड़ा" है  अर्थात "परशुराम आश्रम". यह  मेरठ में गंगा ओर यमुना नदी के बीच बसी है.   इसी आश्रम स्थल के पास द्रोणाचार्य का आश्रम स्थल भी है जो दनकौर   में गंगा और यमुना के बीच बसी है. इन दोनों आश्रम  स्थलों की देख रेख तथा व्यवस्था हस्तिनापुर के किले से संचालित होती थी.  भगवान  परशुराम  गुरु हैं ,  भीष्म , कर्ण ओर द्रोणाचार्य के,  जिन्होंने उन्हें शस्त्र विद्या का ज्ञान दिया. यही  भग

बूढ़ी गंगा - एक विलुप्त होती नदी - The River Which Died.

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  जो दृश्य आप देख रहे हैं  वह कोई गंदे नाले का गढ़ैया नहीं . यह भारत की प्राचीन  गंगा की जलधारा - बूढ़ी गंगा है . आज भी इस प्राचीन गंगा के दोनों छोर वर्तमान गंगा से जुडी हैं . यह बिजनौर के पास से निकलती है और गढ़मुक्तेश्वर में जा मिलती है. यह बूढ़ी गंगा हस्तिनापुर के किले के ठीक नीचे बह रही है, जिस पर आज लोगों का अनधिकृत कब्जा है. इसी बूढ़ी गंगा पर द्रौपदी घाट है जो आज रोती है. महाभारत के समय द्रौपदी का यह अपना स्नान करने का निजी घाट था . इस तरह के अनेक घाट इस प्राचीन नदी पर अवस्थित  थे जो आज नष्ट हो चुके हैं . इस इलाके की एक जनश्रुति है यहां आकर आप द्रौपदी से कुछ भी मांगे मिल जाती हैं. कहते हैं कई माँ को इसने संतान दी है. धन की चाह रखने वाले को धन. मैंने इस नदी का जीवनदान माँगा है . पता नहीं यह इच्छा पूरी होती  है या नहीं?  यहां तक पहुंचने का मार्ग सुगम भी नहीं है.      महाभारत काल में यह इतनी शक्तिशाली और प्रवल थी इसने पूरे हस्तिनापुर के किले को नष्ट कर दी थी.  विष्णु पुराण में इसकी विशद चर्चा प्राप्त होती है जब परीक्षित से चार पीढ़ी के बाद निचक्षु ने हस्तिनापुर के इस किले को खाली कर दी थी

सनातन दर्शन में प्रद्युम्न. Pradyumna In The Sanatana Philosophy

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  लेख पढ़ने के पहले अंग्रेजों के द्वारा स्थापित काल क्रम को हटा दें तथा पुराण के काल क्रम पर ध्यान दें :    १. चन्द्रगुप्त मौर्य - १५१६ ईस्वी पूर्व ( न की ३२३ ईस्वी पूर्व )  २. गौतम बुद्ध - १८६४ ईस्वी पूर्व ( न की ५०० ईस्वी पूर्व )  Before reading this article please rectify defective dates as follows : 1. Chandragupta Maurya - 1516 BCE ( not 323 BCE )  2. Goutam Buddha - 1864 BCE ( not 500 BCE ) .                                        हमारे भारतीय  दर्शन में प्रद्युम्न  का एक अनोखा, विशाल चरित्र प्राप्त होती है. शौर्य और वीरता का दूसरा नाम  प्रद्युम्न है.  प्रद्युम्न, भगवान  कृष्ण  और रुक्मिणी के बड़े पुत्र थे. भारतीय  दर्शन में,  प्रद्युम्न  का ध्वज चिन्ह "मकर" है. हमारे भारतीय दर्शन में ही एक प्राचीन कहानी मिलती है जिसमें किसी "मछली"  का विवरण प्राप्त  होती है जिसनें   प्रद्युम्न  का  अपहरण कर लिया था. यह मछली चिन्ह असुर राजा का  ध्वज चिन्ह  है  जो बेबीलोन के राजा थे . भारतीय  दर्शन में  यह असुर प्राचीन राजा शम्बर बताई गई है . जो भी हो . प्रद्युम्न  काअसुर राजा को

कृष्ण के हस्तिनापुर में एक दिन . Revisiting Krishna's Hastinapur

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भारत सरकार ने अंततः महाभारत के काल समय पर मुहर लगा दी है . इसके साथ ही कोई २०० वर्षों से ऊपर चल रही  महाभारत, उसके काल , स्थल तथा भारत के आस्था ह्रदय कृष्ण  पर अपमानजनक मिथक टिपण्णी पर विराम लग गई है.    भारत सरकार ने इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ हेरिटेज कंज़र्वेशन के नाम से संस्थान बनाई है जो महाभारत के मुख्य स्थल हस्तिनापुर में बनाई जाएगी. यह वृहद् स्तर पर १९५० से छोटे पर महत्त्वपूर्ण उत्खनन के बाद कार्य करेगी. यह बताना आवश्यक है डॉ बी बी लाल ने पचास के दशक में हस्तिनापुर की खुदाई की थी. उनकी बहुत सारे खोज और रिपोर्ट को कोई ७० वर्षों तक कांग्रेस की तत्कालीन सरकार ने दबाये रखा.  ये खोज इतने महत्त्वपूर्ण थे की सरकार ने इसे कभी उजागर किया ही नहीं . यूरोप के लोगों ने अपमानजनक रूप से भगवान कृष्ण के काल समय को मिथक माना था. इसके पीछे  आर्य  आक्रमण सिद्धांत को ज़िंदा रखने   की मंशा थी.   अतः ब्रिटेन के लिए आवश्यक था की कृष्ण के समय को मिथक मान ली जाय . यह घनघोर षड़यंत्र भारत के लोग समझ नहीं पाए .   आइये भगवान कृष्ण के हस्तिनापुर चलें जहां उन्होंने महाभारत समय के महत्त्वपूर्ण क्षण व्यतीत किये हैं . हस

INDIAN FAITH : The Skill Gap & The Need To Train The Indian Bureaucrats

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Swami Vivekananda more than 100 years before said : "develop faith, through the grace of the Lord... you have the same pride, may that faith in your ancestors come into your blood, may it become a part and parcel of your lives" . This is the faith we Indians still believe Bhagwan Krishna, His existence and His eternal presence. The icon of Jagannath at Puri is not  a carved and decorated wooden stump with large round eyes and a symmetric face. This is the icon of faith on Bhagwan Krishna.  The Sabarimala Temple in the Periyar Tiger Reserve at Kerala, is one of the largest annual pilgrimage sites in the world visiting  deity Ayyappan, incarnation of Krishna- Vishnu in the South India.  This is not the mythical faith. This is the historical faith, which binds all the Indians. Krishna is the symbolism for unity of all the Indians. Indians have deep faith on Him. In Tamil Nadu we see a different picture. This is quite different then other Southern states like, Andhra Pradesh , Ka