भगवान परशुराम की प्रतीक्षा
हम उसी धर्म की लाश यहाँ ढोते हैं, शोणित से सन्तों का कलंक धोते हैं। यह गहन प्रश्न; कैसे रहस्य समझायें ? दस-बीस अधिक हों तो हम नाम गिनायें। पर, कदम-कदम पर यहाँ खड़ा पातक है, हर तरफ लगाये घात खड़ा घातक है। यह पाप उन्हीं का हमको मार गया भारत अपने घर में ही हार गया है। सुनते हैं भगवान परशुराम चिरंजीवी हैं. वे जहां भी हों तत्क्षण आशीर्वाद दें. आज भगवान परशुराम बड़े खुश होंगे. कई वर्षों के बाद प्राणहीन भारत ने भगवान परशुराम को पुनः देखा है. आलमगीरपुर एक घृणित इस्लामिक नाम है. इसका असली नाम "परशुराम -खेड़ा" है अर्थात "परशुराम आश्रम". यह मेरठ में गंगा ओर यमुना नदी के बीच बसी है. इसी आश्रम स्थल के पास द्रोणाचार्य का आश्रम स्थल भी है जो दनकौर में गंगा और यमुना के बीच बसी है. इन दोनों आश्रम स्थलों की देख रेख तथा व्यवस्था हस्तिनापुर के किले से संचालित होती थी. भगवान परशुराम गुरु हैं , भीष्म , कर्ण ओर द्रोणाचार्य के, जिन्होंने उन्हें शस्त्र विद्या का ज्ञान दिया. यही भग