बूढ़ी गंगा - एक विलुप्त होती नदी - The River Which Died.
जो दृश्य आप देख रहे हैं वह कोई गंदे नाले का गढ़ैया नहीं . यह भारत की प्राचीन गंगा की जलधारा - बूढ़ी गंगा है . आज भी इस प्राचीन गंगा के दोनों छोर वर्तमान गंगा से जुडी हैं . यह बिजनौर के पास से निकलती है और गढ़मुक्तेश्वर में जा मिलती है. यह बूढ़ी गंगा हस्तिनापुर के किले के ठीक नीचे बह रही है, जिस पर आज लोगों का अनधिकृत कब्जा है. इसी बूढ़ी गंगा पर द्रौपदी घाट है जो आज रोती है. महाभारत के समय द्रौपदी का यह अपना स्नान करने का निजी घाट था . इस तरह के अनेक घाट इस प्राचीन नदी पर अवस्थित थे जो आज नष्ट हो चुके हैं . इस इलाके की एक जनश्रुति है यहां आकर आप द्रौपदी से कुछ भी मांगे मिल जाती हैं. कहते हैं कई माँ को इसने संतान दी है. धन की चाह रखने वाले को धन. मैंने इस नदी का जीवनदान माँगा है . पता नहीं यह इच्छा पूरी होती है या नहीं? यहां तक पहुंचने का मार्ग सुगम भी नहीं है.
महाभारत काल में यह इतनी शक्तिशाली और प्रवल थी इसने पूरे हस्तिनापुर के किले को नष्ट कर दी थी. विष्णु पुराण में इसकी विशद चर्चा प्राप्त होती है जब परीक्षित से चार पीढ़ी के बाद निचक्षु ने हस्तिनापुर के इस किले को खाली कर दी थी . नदी के साथ भारत ने दुर्व्यवहार की है. यह एक जीता जागता उदाहरण है कैसे हमारी सरस्वती नदी नष्ट हो गई . राज काज में व्यस्त सरकारी लोगों को चिंता नहीं होती जब तक विपदा न आ जाय . नदी की प्राचीन पेटिका पर अनधिकृत कब्जा एक चिंताजनक स्थिति है जिस पर पर्यावरण से जुड़े लोगों को चिंता होनी चाहिए . बिजनौर से लेकर गढ़मुक्तेश्वर तक की यह प्राचीन जल पेटिका अत्यंत प्राचीन काल से साइबेरियन पक्षियों का आश्रय स्थल रही है . ये जल पेटिका बड़ी तेजी से खेतों में परिवर्तित हो रही है . अगर आज हमने इसकी सुरक्षा नहीं की तो आगे आने वाली पीढ़ी को बताने के लिए हमारे पास कुछ नहीं होगी. भारत के लोगों ने इस प्राचीन पेटिका का अपमान इस लिए किया की सरकारी मशीनरी बहुत वर्षों तक भगवान कृष्ण और उनके समय को मिथक मानती रही है . इस प्राचीन नदी का इतिहास भगवान कृष्ण के साथ जुडी है. अचरज तब होती है जब सरकारी महकमे में इस प्राचीन नदी की कोई जानकारी न हो .
माननीय नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल , माननीय सुप्रीम कोर्ट ऑफ़ इंडिया को इस पर संज्ञान लेनी चाहिए. भगवान कृष्ण के साथ जुडी हमारी नदी बूढ़ी गंगा को सुरक्षित किये जाने का सार्थक प्रयत्न होने चाहिए. हस्तिनापुर में बन रहे इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ हेरिटेज कंज़र्वेशन के पास हस्तिनापुर किले के साथ साथ इस नदी को सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी होनी चाहिए.
हम आज भी इस नदी को बचा सकते हैं . एक दृढ राजनैतिक इच्छा शक्ति होनी चाहिए. भगवान कृष्ण और उनसे जुड़े स्मृति चिन्ह से आँख फेर लेना घनघोर पाप और अक्षम्य अपराध है .
१९५० में हस्तिनापुर के किले में में डॉ बी बी लाल ने महाभारत के सत्यता की जांच के लिए खुदाई की थी. फोटोग्राफ में यह व्यक्ति गंगा की बाढ़ से नष्ट हो गए हस्तिनापुर के किले पर बाढ़ के प्राचीन अवशेष दिखा रहा है The ancient site of Hastinapur during Dr BB Lal trial test in 1950. A person is showing here Ganga flood ancient relics.
प्राचीन जल पेटिका बूढ़ी गंगा के जल धारा के प्राचीन मार्ग The ancient water channel of Bhodhee Ganga shown in yellow arrow.
पुराने अभ्यास क्रम में साइबेरियन पक्षी यहां अत्यंत प्राचीन काल से आ रहे हैं . आज यह जल पेटिका तेजी से खेतों में बदल रही है. The Siberian Cranes are coming here from time immemorial. Now the wet lands are being encroached. The River is dead.
बूढ़ी गंगा का इतिहास और संस्कृति कच्छ के खाड़ी में स्थित भगवान कृष्ण से जुड़े हैं . The Boodhee Ganga is related with the history and culture spread in the Gulf of Kutch of Bhagwan Krishna .
बहुत लम्बे समय तक समुद्र के पानी में डूबे भगवान कृष्ण के इस राजमहल का सम्बन्ध हस्तिनापुर तथा बूढ़ी गंगा से रही है . यह भारत के इतिहास का भाग्य विधाता है . इस राजमहल की तरह भारत ने बूढ़ी गंगा को भी अपमानित की है. इसकी सुरक्षा नहीं करना . मानव समाज के लिए लज्जा का विषय है . The submerged water fort for a very long period of time has remained attached with the age and time of the Hastinapur and the River Boodhi Ganga.
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