भगवान कृष्ण के "विस्तारित द्वारका" के रहस्य Unknown Archaeology of the "Greater Dwarka" of Bhagwan Krishna
कच्छ की विशाल सूखी रण, भगवान कृष्ण के द्वारका की कई रहस्यों को खोलती है. वियावान और निर्जन प्रान्त के चलते कोई यहाँ आता भी नही. परन्तु भगवान कृष्ण के अनंत सखा "फ्लेमिंगो" ( सारस ), रूस से यहाँ 4760 किलो मीटर की लम्बी दूरी तय करके द्वारका में भगवान कृष्ण के पास पहुंच जाते हैं. भारत उनका दूसरा घर है. यह अहर्निश क्रिया 5200 वर्षों से चल रही है. लेकिन "फ्लेमिंगों" के साथ साथ कुछ साहसी भू वैज्ञानिकों ने इस जगह काम की है. आज से ठीक 3200 ईस्वी पूर्व में कच्छ की रण, में स्थित "विस्तारित द्वारका" ( Greater Dwarka ) भारत पाकिस्तान के सीमा पर स्थित कोरी क्रीक से जुड़ी थी, तब विस्तृत द्वारका" ( Greater Dwarka ) के चारों ओर, चार मीटर गहरी समुद्र थी जिसमें सिंधु और सरस्वती नदी अपना जल छोड़ देती थी. यह "विस्तारित द्वारका" ( Greater Dwarka), समुद्र मार्ग से मूल द्वारका जहाँ भगवान कृष्ण का राजमहल थी उससे जुड़ी थी. 1962 में भू वैज्ञानिकों ने इस तथ्य की पुष्टि की है की "टेक्टोनिक अपलिफ्ट" ( भू-भाग का ऊपर की और बढ़ने ) की प्रक्रिया निरंतर इस इलाके में चल रही है जो 2 मिली मीटर प्रतिवर्ष के दर से ऊपर जा रही है. वहीं दूसरी ओर कच्छ की खाड़ी की समुद्र तल, निरंतर इसी दर से नीचे जा रही है. एक जगह जमीन का ऊपर बढ़ना और दूसरी जगह जमीन के नीचे जाना, यह "टेक्टोनिक अपलिफ्ट" का प्रभाव है. इसी कारण कच्छ में निरंतर भूकंप आते रहते हैं. कच्छ के रण से कोरी क्रीक 80 किलोमीटर दूर है "टेक्टोनिक अपलिफ्ट" के कारण, कोरी क्रीक से समुद्र का प्रचुर पानी कच्छ के रण को नही मिलती, जिस कारण इनका तेजी से वाष्पीकरण हो जाती है, और छोड़ जाती हैं पीछे अद्भुत सफ़ेद नमक. भू वैज्ञानिकों की डाटा यह प्रमाणित करती है की "टेक्टोनिक अपलिफ्ट" की यह प्रक्रिया 3100 ईस्वी पूर्व में शुरू हुई थी जिसके चलते द्वारका डूबी है. आश्चर्य है भगवान कृष्ण को इस "टेक्टोनिक अपलिफ्ट" के घटित होने की पूर्ण सूचना थी. द्वारका डूबने का कोई अन्य कारण जैसे सुनामी इत्यादि नहीं हैं. द्वारका डूबने का यह वैज्ञानिक कारण आप तब तक नहीं खोज सकते जब तक भगवान कृष्ण की अद्भुत कृपा आप पर न हो. "विस्तारित द्वारका" ( Greater Dwarka ) क्या अनेक रहस्यों को छुपाये विलुप्त हो जाएगी ? बिलकुल नहीं. भगवान कृष्ण के ऊपर आस्था रखने वाले मुझ जैसे लोग तो निराश नहीं होते. सरकार काम करे या न करे, किन्तु इस महान देश में अनेक दाता- दानी बैठे हैं जो भगवान कृष्ण की सेवा में आगे आएंगे. वह दिन दूर नहीं.
Reference:
1. Glennie K. W. and G. Evans (1976) A reconnaissance of the Recent sediments of the Ranns of Kutch, India. Sedimentology, 23: 625--647.
2. Das Gupta, S. K. (1975) A revision of the Mesozoic-Tertiary stratigraphy of the Jaisalmer Basin, Rajasthan. Indian Journal of Earth Sciences, 2 (1): 77-94.
3. Status on Run of Kutch, Gujarat Ecology Commission Sponsored by Ministry of Environment.
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