जनकपुर




अयोध्या को जनकपुर से रेल मार्ग से जोड़ने की अदम्य इच्छा शक्ति साधारण नहीं है. यह पुरुषार्थ मांगती है.  इस माह,  २ अप्रैल को जनकपुर,  भारत से जुड़ गई.  यह सांस्कृतिक बंधन अत्यंत प्राचीन है. जनकपुर ने १९८८ में यूनेस्को से  सीता माता के प्राचीन परिसर को सुरक्षित रखने का आग्रह किया था. भारत की अयोध्या चूक कर गई. इस देश में विभ्रम चल रहा था की भगवान राम और उनका  जन्म स्थान सत्य है या मिथक. पर जनकपुर की विचार दृष्टि स्पष्ट थी. अयोध्या के राम और जनकपुर की माता सीता के विवाह मंडप को जनकपुर ने अबतक सुरक्षित रखा है. यह इसलिए हो सका क्योंकि नेपाल ने माता सीता को भुलाया नहीं,  वहीं भारत ने भगवान राम को अयोध्या में ही भुला दिया. यह रेलमार्ग एक दुःसाहस है - जो मात्र भारत ही कर सकता है. भारत के जयनगर  से जनकपुर की यात्रा सुन्दर धान के लहलहाते खेतों से गुजरते हुए नेपाल में वैदेही स्टेशन पर रुकती है. माता सीता का दूसरा नाम वैदेही है. वैदेही और जनकपुर के बीच के रेल खंड अनेक ऐसे स्थलों से गुजरते  हैं जो रामायण काल से जुड़े हैं.   यहां नेपाल के सरकारी पुरातात्विक विभाग ने  सीता माता  के समय के अनेक पुरावशेषों को खोज निकाला  है. यह उस आस्था की जीत है जिसे रामचरितमानस में तुलसीदास जी ने लिखी है. जनकपुर का सम्बन्ध ऋग्वेदकाल से है. भगवान कृष्ण के द्वारका से कई हजार वर्ष पीछे रामायण और ऋग्वेद का काल आती है. शतपथ ब्राह्मण में गुजरात के सरस्वती तट से राजा विदेह का गौतम राहूगण  के साथ सदानीरा को पार कर जनकपुर में बसने की अत्यंत प्राचीन प्रसंग  मिलती है. गौतम राहूगण,  ऋग्वेद के मन्त्रद्रष्टा हैं. इस हिसाब से जनकपुर ऋग्वेद के आसपास घूमती है.  विदेह की पुत्री वैदेही - माता सीता कहलाईं. जनकपुर, माता सीता और भगवान राम के विवाह मंडप को सुरक्षित रखने का भरपूर प्रयत्न कर  रही है. जनकपुर ने उस तालाब को भी सुरक्षित रखा है जहां विवाह के अनुष्ठान हुए थे. जनकपुर की लोक भाषा आज भी  मैथिली है. सर्वाधिक आत्मसंतोष हमें तब होती है जब चांदी और सोने के बने माता सीता के सुन्दर आभूषण इस मंदिर में  सुरक्षित रखे हैं. यह कबसे सुरक्षित है,  यह कोई नहीं जानता. जनकपुर में एक मार्मिक  कथा प्रसंग मिलती है. समस्त स्त्री जाति के  अभिमान की रक्षा करने वाली गर्भवती माता सीता को पुरुषोत्तम,  नरोत्तम भगवान राम ने जब अयोध्या से बाहर कर दी थी. तब  माता सीता जनकपुर नहीं गई. उन्होंने अपने प्रिय  आभूषण जनकपुर भिजवा दी. यह इसी भारत देश की घटित एक मार्मिक घटना है.   


☝रात में नयनाभिराम जानकी महल - यह प्राचीन  जनकपुर का वह स्थल है जहां  माता सीता और भगवान राम का  प्राचीन विवाह मंडप निर्मित थी. यह आज हिन्दू जाति का प्रमुख तीर्थ स्थल है.   


☝नेपाल के सरकारी पुरातत्व विभाग ने माता सीता के समय के पुरावशेषों को खोज निकाला. वहीं भारत के पुरातत्व विभाग - विभ्रमित थे की अयोध्या के भगवान राम का जन्मस्थान सत्य है या मिथक ?  


☝दिन के समय जानकी भवन का एक दृश्य 


☝रत्न सागर - जनकपुर और यूनेस्को ने इस तालाब को सुरक्षित रखा है जहां भगवान राम और माता सीता के वैवाहिक अनुष्ठान हुए थे.  यह तालाब ठीक विवाह मंडप के पीछे थी. चित्र में जानकी भवन का विहंगम चित्रण 


☝भारत से जनकपुर पहुँचती ट्रेन 

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