भारत की इतिहास परम्परा और आस्था
द्वारका डूब जाने के बाद, इस नगर के विशाल दीवार और प्राचीन बंदरगाह कोरल रीफ के आश्रय दाता बने. द्वारका के कोरल रीफ की आयू कार्बन डेटिंग में ३१०० ईस्वी पूर्व के हैं. हिन्दू पंचांग में द्वारका डूबने का समय भी ३१०० ईस्वी पूर्व है. द्वारका के कोरल रीफ की कार्बन डेटिंग का यह समय हिन्दू पंचांग से मिल जाती है. मोहनजोदड़ो ३००० ईस्वी पूर्व की हैं. इस कारण द्वारका और भगवान कृष्ण की अनेक सूचनायें मोहनजोदड़ो की मुद्रा में मिलती है. मोहनजोदड़ो के ये मुद्रायें निःसंदेह महाभारत युद्ध के बाद बने हैं. क्योंकि भगवान कृष्ण का कुरुक्षेत्र युद्ध में विराट स्वरूप प्रदर्शन की सांकेतिक सूचना मोहनजोदड़ो की मुद्रा तथा पुरी स्थित भगवान जगन्नाथ के नवगुण आधारित पटचित्र में समान मिलती है. सिंधु घाटी की सभ्यता में कार्य करने वाले लोग अभी तक अनर्गल प्रलाप कर रहे हैं. बंगाल और केरल के दूषित मार्क्सवाद में डूबे लोग, भगवान कृष्ण को मिथक मानते हैं. यह लेनिन या कार्ल मार्क्स का मार्क्सवादी सिद्धांत नहीं था. भारत वर्ष के लोगों पर यह विचित्र मार्क्सवाद, यूरोप द्वारा जबरन थोप दी गई थी. भारत के मार्क्सवादी लोगों ने स्थापित ऐतिहासिक सत्य को उलट कर देखा. यह उनका वीभत्स वाममार्गी रूप था. इस मार्क्सवादी व्यवस्था में प्राचीन वैदिक सभ्यता नहीं थी और न ही मनुस्मृति थी. यही मार्क्सवाद, भारत में आर्य हमले की बात करती है. यही मार्क्सवाद, भारत और पाकिस्तान के बंटवारे की मूल नींव है. पाकिस्तान के इतिहास पुस्तक, मोहनजोदड़ो से एकाएक मुग़ल भारत में कूद जाती है. यह उनकी लाचारी है की वे यह नहीं जानना चाहते की कभी उनके पूर्वज हिन्दू थे. अरब के इस्लामिक हमलावरों को वे अपना आदर्श मानते हैं. वे भूल जाते हैं की कोई ४००० वर्षों से उनके रक्त में उनके हिन्दू पूर्वजों का रक्त बह रहा है. यह सत्य इतिहास अगर जिन्ना और नेहरू को पता होती तो संभवतः भारत का बंटवारा नहीं होता. मोहनजोदड़ो के विशाल बंदरगाह, कभी भगवान कृष्ण के द्वारका से जुडी थी. सिंधु नदी सूख जाने के बाद मोहनजोदड़ो के ये बंदरगाह नष्ट हो गए. महाभारत सूखे के कारण ऐसे नष्ट हो रहे नगरों की सटीक सूचना देती है. अब जब भी भारत का नया इतिहास लिखा जाएगा, वह अब रामायण और महाभारत के साहित्यिक प्रमाण की अवहेलना नहीं कर सकते. भारत की नवीन शिक्षा नीति का एक मूल उद्देश्य है भारत का नया इतिहास लिखा जाना. यह दायित्व पूर्व शिक्षा मंत्री श्री प्रकाश जावेड़कर के कंधे पर थी. भगवान कृष्ण की आस्था की रक्षा के लिए, मैं कभी उनसे मिला था. वे मूल उद्देश्य प्राप्त करने में असफल रहे. उन्हे बाहर जाना पड़ा. भगवान कृष्ण की आस्था की रक्षा करने का दायित्व, अब भारत के नए शिक्षा मंत्री के कंधे पर हैं.
☝ये विशाल सिंधु नदी कभी द्वारका बंदरगाह से जुड़े थे
☝भगवान कृष्ण के द्वारका की ये योजनाबद्ध मकान के ही आधार पर मोहनजोदड़ो के योजनाबद्ध मकान बने
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