वरुण के बेटे
⛵भगवान के चरण धाम की विहंगम सेटेलाइट दृश्य. चरण धाम पीले पत्थर से शोभित है. वहीं पास में शंख चिन्ह और मछली चिन्ह बने हैं.यह पूरा द्वीप जलमग्न रहता है. चरण धाम उंचाई में स्थित हैं इसलिए कुछ हिस्से बाहर रहते हैं. भगवान की विशाल राजमहल इसी द्वीप में है.यहां के नाविक बताते हैं यहां द्वीप में बाघ की एक भयावह विशाल मूर्ती है, जो पानी में डूबी रहती है. ये वही बाघ हैं जो भगवान के राजमहल द्वीप से जुड़े हैं.
⛵वरुण पुत्र, चरण धाम जाने के लिए सलाया के नाव में चढ़ रहे हैं. कुछ देर में यहां विशाल जल राशि आ जाएगी. नाव पानी में तैरने लगेगी
⛵सलाया के वर्तमान नाविक अपने आपको वरुण पुत्र बतलाते हैं, उनके पूर्वज भगवान कृष्ण के श्रेष्ठ नाविक थे
⛵ इसके आगे वरुण पुत्र स्वयं पैदल समुद्र पार करेंगे.समुद्र के नीचे प्राचीन पुल के अवशेष हैं
⛵ऊँट भी विशाल समुद्र को तैर कर भगवान कृष्ण के प्राचीन भूमि के पास पहुंच जाते हैं
⛵हरे समुद्री वनस्पति वरुण पुत्रों का स्वागत करती है. ये प्राचीन काल के वे मैंग्रोव्स हैं जो भगवान कृष्ण ने द्वारका के चारों ओर लगा रखे हैं. ये अबतक चली आ रही हैं. खारा समुद्री पानी इनका भोजन है.
⛵ये ऊँट मैंग्रोव्स को खाकर नियमित कटाई छटाई किया करते हैं. इस प्राकृतिक कटाई छटाई से नए मैंग्रोव्स जन्म लेते हैं. यह प्राकृतिक चेन ५००० वर्षों से चली आ रही है. ये ऊँट मैंग्रोव्स अगर न खायें, तो असमय मैंग्रोव्स की मृत्यू होने लगती है.
⛵भगवान कृष्ण की प्राचीन भूमि, संध्या काल की विहंगम नीरवता में डूबी है
⛵ लाल सफ़ेद सारस भी भगवान की प्राचीन भूमि में संध्या काल पहुंच जाते हैं .
⛵रात में नाव की झूलती दीपमालिका
⛵प्रभात बेला में भगवान की प्राचीन भूमि का नयनाभिराम दृश्य
⛵जैसे जैसे सुबह हो रही है समुद्र का पानी बढ़ने लगी है. वरुण पुत्र शीघ्र ही इस द्वीप को छोड़ देंगें. यहां अथाह जल राशि बढ़ जाएगी.
⛵इस प्राचीन भूमि में ज्वार भाटा का यह कुछ विशेष क्रम मिलता है.
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