Bet-Dwarka - The Unexplored Land

 

                                                                                                     

                                                                                                                       * BIRENDRA K JHA 

बेट-द्वारका सील, हरिवंश पुराण में वर्णित पासपोर्ट, भगवान कृष्ण का प्रतीक चिन्ह था जैसा कि महाभारत - मोक्ष धर्म - शांति पर्व श्लोक 93 में वर्णित है। यह सील स्पॉट 5 से प्राप्त  की गई है।  अंग्रेजी संस्करण के  बाद  तस्वीरें देखें । The Bet-Dwarka Seal, the passport mentioned in the Harivansh Puran, was the Icon Symbol of Bhagwan Krishna as mentioned in the Mahabharat - Moksha Dharma - Santi Parva Shloka 93. This seal has been recovered from the Spot 5 - See photographs provided after the English version. ) 

अस्सी के दशक में डॉ अस आर राव साहब ने सब कुछ दांव पर लगा कर भगवान कृष्ण की सभ्यता खोजने का उपक्रम किया था।     दुर्भाग्य से यहाँ भी यह खोज राजनीति के गंदे दलदल में डूब गई।   उनके आगे की खोज को भारत सरकार ने बंद कर दिया, क्योंकि वे भगवान कृष्ण की खोजबीन कर रहे थे !  डॉ अस आर राव साहब की मृत्यू २०१३ में हो गई।  बड़े भारी मन से उन्होंने इस भारत देश  से प्रयाण किया।  डॉ अस आर राव साहब की खोज महत्वपूर्ण थी, उन्होंने  द्वारका नगर में प्रवेश के पूर्व के चेक-पोस्ट को खोजा था। बेट-द्वारका चेकपोस्ट थी।    भारत के  पुरातत्व विभाग  तथा  पुरातत्व विद्या पढाने वाले संस्थानों ने कभी भी डॉ अस आर राव साहब के किये हुए खोज को आगे नहीं बढ़ाया।  डॉ अस आर राव साहब ने इस स्थान पर जिसे स्पॉट ५ चिन्हित है वहां से प्राचीन पासपोर्ट निकाला था। इस पासपोर्ट को  दिखाने  के बाद यहाँ तैनात सैनिक, द्वारका नगर में प्रवेश की  अनुमति देते थे। इस खोज से यह स्पष्ट हो गई की मूल द्वारका नगर कहीं पास में ही डूबी है।  डॉ अस आर राव साहब ने जहाँ से पासपोर्ट खोजा था उसके पास और किस तरह के पुरातात्विक सामग्री मिल रही है , यह जानने का प्रयास कभी नहीं की गई ?   चित्र में स्पॉट १, २ , ३  , ४  तथा ५  देखें तो सभी चीजें स्पष्ट हो जाती है। यहाँ पर चेक पोस्ट की सैनिक छावनी थी जो द्वारका नगर की तरह सुन्दर और सुसज्जित तो नहीं थी  , परन्तु बैरेक  नुमा मकान निर्माण यहाँ बने हैं ।  सीधे रेखा में  निर्मित ये मकान  और पानी पीने के दो महत्वपूर्ण जलाशय, मूल द्वारका  नगर की तरह ही है ।   सेटेलाइट सेंसर के बैंड VV, VH, VV/VH  में इस  सम्पूर्ण स्थान स्पॉट : १, २,३, ४ तथा ५     की जांच   की  गई है।  स्पॉट 3    हल्के बैंगनी-काले  रंग में  जलाशय तक जाती है। हल्के बैंगनी-काले  रंग ने सम्पूर्ण जलाशय स्पॉट १ को चारों  ओर से घेर रखा है।  सेटेलाइट सेंसर की एक महत्वपूर्ण विधा है जिसमें , जमीन के अंदर पड़े हुए किसी भी पुरातात्विक सामग्री की यह सटीक सूचना देती है।  ये प्राचीन पुरातात्विक सामग्री जमीन के धरातल पर अलग "टेम्परेचर" देती है।  इस अलग टेम्परेचर को सेंसर सेटेलाइट  देख लेती है।  हमारे पुरातत्व विभाग के अज्ञानता और मूर्खता के चलते यह स्थान भी नष्ट हो जाएगी।  यह   अभी तक इसलिए  सुरक्षित है क्योंकि गुजरात सरकार ने इस इलाके को "रिजर्व फारेस्ट" के रूप में सुरक्षित रखा है।  क्या गुजरात सरकार और पुरातत्व विभाग इसकी खोज खबर लेगी और इसे सुरक्षित रखेगी।  

In the eighties, Dr. SR Rao  had risked everything to find the civilization of Bhagwan Krishna. Unfortunately, here too this discovery got drowned in the dirty quagmire of politics. His further search was stopped by the Government of India, because he was searching for Bhagwan Krishna. Dr SR Rao died in 2013. With a heavy heart he departed from this Earth. Dr. SR Rao's discovery was important. He discovered the spot of "check-post" before entering Dwarka city. Thus the Bet-Dwarka was check post. The Archaeological Department of India and the institutions teaching archeology never took forward the discovery made by Dr. SR Rao. Dr SR Rao had searched the ancient passport from this place which is marked as spot 5. After showing this passport, the soldiers posted here allowed entry into the Dwarka city. From this discovery,  it became clear that the original city of Dwarka was submerged somewhere nearby this check post.  There was no any sincere effort ever made,  to find out what kind of archaeological materials are found near the place,  where Dr. SR Rao had discovered the passport? If we look at spot no.  1, 2, 3, 4 and 5, as given  in the picture, everything becomes clear. There was a military cantonment of the check post here, which was not as beautiful and well-equipped as Dwarka city. But barrack-like houses were built here. These ancient houses are built in straight lines with  two important water reservoirs for drinking water. The water reservoirs, are like the original Dwarka city. This entire location has been examined in the bands VV, VH, VV/VH of the satellite sensor, covering  spot 1, 2, 3, 4 and 5. Spot 3 leads to the water reservoir. The color of this archaeological remains which is submerged under the surface is emitting temperature light in light purple-black. This light purple-black color surrounds the entire reservoir Spot 1. Satellite is an important mode of sensor in which it gives accurate information about any archaeological material lying inside the ground. These ancient archaeological materials give different "temperatures" on the ground surface. This different temperature is detected by the sensor satellite. Due to the ignorance and stupidity of our archeology department, this place will also be destroyed. It is still safe because the Gujarat government has protected this area as a "Reserve Forest". Will the Gujarat government and the archaeology departments investigate this and keep it safe?
डॉ. एसआर राव द्वारा प्राप्त सील मुद्रा जो ऊपर दिखाई गई है, वह   बेट-द्वारका सील स्पॉट 5 से पाई गई है। स्पॉट 5, के पास  स्पॉट 4 (प्राचीन दीवार) द्वारा समर्थित है; स्पॉट 3: चेक पोस्ट को सहारा देने के लिए सैन्य बैरक हैं ; स्पॉट 2 और स्पॉट 1 : पेयजल भंडारण क्षेत्र है ). The Bet-Dwarka Seal, shown in top picture recovered by Dr SR Rao has been found from Spot 5. The Spot 5 is supported by Spot 4 ( Ancient wall ); Spot 3 : Military barrack to support the check post; Spot 2 and Spot One : Drinking water storage area )

कलर बैंड वीवी, वीएच, वीवी/वीएच में सैटेलाइट सेंसर ने हल्के बैंगनी-काले रंग के साथ स्पॉट 3 का पता लगाया है । यह रंग पैटर्न स्पॉट 1 पर जलाशय की ओर बढ़ता है और पूरी तरह से इस गोलाकार तालाब को "कवर" करता है। इससे द्वारका चेक-पोस्ट की प्राचीन मानव बस्ती के होने की पुष्टि होती है जो नीचे दबे हैं  ). 
The  satellite sensor in color band VV, VH, VV/VH detected Spot 3  with a light purple -black color. This color pattern moves towards the water reservoir at Spot 1 and covers entirely this circular pond. This confirms ancient human settlement of Dwarka check-post. )

( उपग्रह ने  स्पॉट 3 को विस्तार से देखा है। यह सीधी रेखा में मानव बस्ती संरचनाओं को दिखाता है)
The  satellite captures here the Spot 3. This shows straight line human settlement structures )


स्पॉट 5,  का विशाल विस्तार, जो पानी के अंदर डूबा रहता है। एनालॉग तकनीक में उपग्रह,  पानी के नीचे की सतह को देखता है। यह डेटा दिलचस्प है क्योंकि यहां कई मानव निर्मित संरचनाएं दिखाई देती हैं।  
The  vast expanse of Spot 5, which remains submerged under the water. In the Analogue Technique , the satellite looks the surface under the water. This data is interesting as many man made structures are visible here ). 



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