SURAT - THE TESTIMONY OF THE ANCIENT DWARIKA

                                               The Dwarika White Stone Spread At Surat 

जब प्राचीन द्वारिका के बंदरगाह अपने चरमतम अवस्था में थे उस समय सूरत को भी भगवान ने सजाया संवारा था. सामरिक और व्यापारिक दृष्टि से सूरत की घेरेबंदी द्वारिका को सुरक्षित रखने के लिए आवश्यक थी . सूरत के प्राचीन बंदरगाह जिसे कभी भगवान कृष्ण ने बसाया था, उसके अवशेष सूरत के समुद्र के नीचे मिलते हैं. सूरत में ही, प्राचीन द्वारिका से मुंबई जाने वाली विस्तृत दीवार की प्राचीन नींव अब भी देखने में मिलती है . द्वारिका निर्माण से भी अत्यंत प्राचीन काल के वनस्पति आज फॉसिल बन चुकी हैं, जो सूरत के प्राचीन तल में बिखरे पड़े हैं . ये पेड़ के फॉसिल कुछ वैसे ही है जैसे बाड़मेढ़ और जैसलमेर के रेगिस्तान में मिलती है. इसलिए पेड़ की फॉसिल , या लकड़ियों से की गई रेडियो डेटिंग काफी भ्रामक होती है. जो दोनों स्थिति बताती है . ये काफी प्राचीन पेड़ के टुकड़े हो सकते हैं या नए समय के लकड़ी के नाव के अवशेष भी हो सकते हैं. मैंने द्वारिका के रेडियो डेटिंग में इस तरह के भ्रामक सामग्री का उपयोग नहीं किया है . मैंने प्राचीन द्वारिका के विशिष्ट श्वेत पत्थर पर बन चुके प्राचीन कोरल रीफ को आधार मानी है जो हर हाल में द्वारिका डूब जाने के बाद ही बने हैं . यह समय है ३२०० ईस्वी पूर्व, जो सेटेलाइट स्केल मेज़रमेंट डेटिंग मेथड में भी ३२०० ईस्वी पूर्व के मिलते हैं .
         The Ancient High Wall Running From Dwarika To Mumbai . At Surat The Ancient Relics 

During the glory of Dwarika. Bhagvan Krishna, not only attended the ports of Dwarika, but has given wide attention at Surat. We find Dwarika stones spread at the sea bed of Surat. This Surat port was established and developed by Bhagvan Krishna. This was necessary to protect the ancient Dwarika from the security point of view. The bed of Surat is filled with ancient forest fossils, spread here and there many 1000 years before the establishment of Dwarika by Bhagvan Krishna. These fossils are similar to the tree fossils found at the Barmer and the Jaisalmer. This is one reason the radio dating conducted on wood are not reliable. They may be an old record of the ancient forest or an wooden piece scrapped from any modern time wooden boat. Understanding this drawback, I have taken only the ancient coral reef which has grown up on the ancient white stone of Dwarika. This condition shall necessarily arise only when Dwarika submerged in the water. The Radio dating of such coral reef is 3200 BCE, which is exactly matching with the satellite dating method performed on the ancient coral reef. 


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