Comparing Two Cultures- Sea Submerged City Dwarika and Mexico
(Based on satellite discovery published book from the Amazon - "Discovery Of Lost Dwarika" available at link -
https://www.amazon.com/dp/B088LJJ955
Comments are in English and Hindi. I can be contacted at - birendrajha03@yahoo.com
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Mexico is not so much beautiful as ancient Dwarika. Surprisingly the architect of these two points are common - The Mayan Engineers. The ancient port city of Mexico speaks the engineering excellence of the Mayan engineers. At Mexico Port city the Mayans have used same engineering scale ( marks ) as used in Dwarika. This scale extinguished from the world science within 500 years of the last Mayans. Mayans shaped many excellent architect engineering at Dwarika and outside Dwarika. The sphinx of Giza and sculpture of various animal motifs at Dwarika islands are very similar and constructed by one architect. Mayans had special knowledge of architectural construction under sea water. We see beautiful stone designs constructed under sea, by the Mayans, before the submersion of Dwarika. At the same time the Mexico - Tulum City , do not put our sight at that level.
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The Chandogya Upanishad reveals an incident of Indra and Virochana receiving education in India at Kashyap ashram. Indra represented Vedic custom whereas Virochan admits Pyramid culture. This incident appears of Krishna and Maya. There is scientific analysis behind that. The radio dating of the ancient pyramid is not more than 2600 BCE. This shows the Pyramid Culture is post dated to Dwarika Civilization.
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The Americans famous magazine "Science" says the radio dating of ancient pyramid is not more than 2600 BCE. At the same time the Dwarika Civilization radio dating is 3200 BCE. This shows the last generation of the Mayans Engineer was on the job for constructing the Pyramids. Dwarika is indebted to the Mayans Engineers. The Mayans have given their heart and soul at Dwarika in the service of Bhagwan Dwarikadheesh.
मैक्सिको का तुलम इतना सुन्दर कहाँ जितना भव्य और सुन्दर द्वारिका है. आश्चर्य है दोनों के ही वास्तुकार मय हैं . मैक्सिको का प्राचीन पोर्ट सिटी मय की कहानी कह रही है . मय ने वही आर्किटेक्ट इंजिनयरिंग के चिन्ह अपनाये हैं जो हम प्राचीन द्वारिका में देखते हैं . मिस्त्र के भव्य पिरामिड में भी मय यही चिन्ह अपनाते हैं . मय के जाते ही एकाएक यह आर्किटेक्ट इंजिनयरिंग के चिन्ह विश्व के पटल से कोई ५०० वर्षों के अंदर गायब हो गयी . इस इंजिनयरिंग चिन्ह के सहारे मय ने कई सुन्दर ईमारत और वास्तु निर्माण की चीजें विश्व को दी है. गीजा के स्फिंक्स वास्तु निर्माण और द्वारिका द्वीप के विभिन्न पशु आकृति के शिल्प कला एक हैं . मय विज्ञान पर आधारित है . समुद्र के पानी के नीचे वास्तु निर्माण में मय को महारत हाशिल है . मैक्सिको के समुद्र तल उतने सुन्दर नहीं जितने द्वारिका के हैं .
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छान्दोग्यउपनिषद् में इन्द्र - विरोचन की घटना प्राप्त होती है . दोनों ही भारत में कश्यप के आश्रम में शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं. शिक्षा उपरांत इन्द्र ने वैदिक संस्कृति को माना तथा विरोचन ने पिरामिड संस्कृति को जन्म दी . विरोचन ने मृत्यू उपरांत शरीर को सुरक्षित रखने का यत्न किया. यह कहानी महाभारत काल के कृष्ण और मय की कहानी लगती है . क्योंकि प्राचीन से प्राचीन पिरामिड का रेडियो डेटिंग २६०० वर्ष से पूर्व का नहीं जाता. इससे यह प्रमाणित होती है की पिरामिड संस्कृति द्वारिका सभ्यता के बाद की है .
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अमरीका के प्रसिद्द पत्रिका साइंस ने लिखा है की प्राचीन मिस्त्र के पिरामिड के रेडियो डेटिंग २६०० ईस्वी पूर्व के ही हैं . वही द्वारिका का रेडियो डेटिंग कोई ३२०० ईस्वी पूर्व का है. मय की अंतिम पीढ़ी २६०० ईस्वी पूर्व में मिस्त्र में पिरामिड का निर्माण कर रही थी. आज भारत के यशस्वी औद्योगिक घराना टाटा समूह मय के ही वंशज हैं. मय का ऋण द्वारिका भूल नही सकता . द्वारिका के एक एक कण की सुंदरता बरकार रखने में मय ने कोई कसर नहीं छोड़ी है . मय ने द्वारिकाधीश की सेवा अतुलनीय भाव से की है .
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Excerpt taken about Dwarika from the author's published book DISCOVERY OF LOST DWARIKA. Available at :
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