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निघण्टु - "रोसेटा स्टोन . The Rosetta Stone - Nighantu- The Clay Seal Vedic Dictionary

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  लाहौर युनिवर्सिटी के डॉ लक्ष्मण स्वरूप ने  प्राचीन निघण्टु का परिचय यूरोप से करवाया . निघण्टु प्राचीन ग्रन्थ है जिसमें ऋग्वेद काल से लेकर महाभारत काल के कुछ पीछे के कठिन वैदिक शब्द अर्थ को बताने का ग्रन्थ है. महाभारत में सूचना मिलती  है की इन प्राचीन ग्रंथों को मिट्टी के मुद्राओं पर लिखी गई थी जो कभी मुद्रा पुस्तकालय की शोभा होती थी . ये  मिट्टी के  मुद्रा बाढ़ में नष्ट हो गए तथा अथाह   मिट्टी के नीचे दब गए. भगवान कृष्ण  उन दिनों द्वारिका के राजा थे तथा  इस खोज में जन-धन से मिट्टी के नीचे दब गए वैदिक शास्त्र को बाहर  निकाला.   पूरातात्विकों का ध्यान इस सूचना के तरफ नहीं गई . निघण्टु - वह "रोसेटा स्टोन" है जिसमें बहुत सारे प्राचीन वैदिक शब्द जो सिंधु मुद्राओं में मिलते हैं उन्हें पढ़ा जा सकता है . सर जॉन मार्शल ने यह बतलाया था की सिंधु मुद्रा के बहुत  सारे अक्षर प्राचीन ब्राह्मी से मिलते हैं. सर  जॉन मार्शल के इस सूचना पर भी ध्यान किसी ने नहीं दिया . डॉ झा - डॉ राजाराम ने विधिवत बतलाया है कैसे प्राचीन ब्राह्मी और प्राचीन देवनागरी के अक्षर सिंधु मुद्रा में साम्यता रखते हैं तथा

Dwarika And The Indo European. द्वारिका और इंडो यूरोपियन

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  This "Before" and "After" comparison tells many facts and the defective working style of the Indian archaeology. Almost for 70 years the Indian establishment, the ASI  ( Archaeological Survey of India ), on the bogus perception of the Aryan Invasion Theory, didn't investigated the ancient city of Bhagwan Krishna. If investigated, other than Dr SR Rao,  this was the half heart approach ventured in the easy area - Not the deep difficult sea - where actual Dwarika is situated. Dr SR Rao was not permitted further beyond the Bet -Dwarika.  The evidence on record says different facts. This was the finest decorated and best infrastructure developed port then the ports from the Rome, Greece or Egypt. The corals have grown on the white ceramic stone  ( black hedge line ) just after the Dwarika  submerged in 3100BCE.     "इमं में गंगे यमुने सरस्वति शुतुद्रि स्तोमै सचता परूष्ण्या।  असिवक्न्या मरूद्वृधे वितस्तयार्जीकीये श्रणुह्या सुषोमया।" ( Rigveda - Nadi Sukta

क्लाइमेट चेंज और हमारी द्वारिका . Climate Change And Our Dwarika

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  The climate change dried the Sarasvati River. This is one of the most praised River in our Rigveda. This was flowing from the mountain to sea. The satellite has observed clear dry bed of the Sarasvati River at the Siddhpur near Rigveda mentioned place Vinasan.  Earlier I have also reported the dry bed of the Sarasvati River at the Pehova ( Haryana ), an ancient Rigveda mentioned site. The  archaeologists and the historians are  debating on this River from a very long period of time. Still the bogus Aryan Invasion Theory is heavy over  the Science.    यह फिजिक्स और क्लाइमेट चेंज की समस्या है. जिसे हम X सिद्धांत कह सकते हैं. इतिहासकार और पुरातात्विक क्लाइमेट चेंज जैसे नीरस और बोझिल विषयों से दूर रहना चाहते हैं . यह उनकी मूर्खता है . इतिहास में ही कई   ऐसी सभ्यतायें और शहर हैं जो   क्लाइमेट चेंज से नष्ट हो गए या पानी में डूब गए .  क्लाइमेंट चेंज से सरस्वती नदी सूख गयी . पुरातात्विक और इतिहासकार आपस में ही उलझ रहे हैं. इन्हें विज्ञान और आधुनिक  सेटेलाइट जैसे संवेदनशील यन्त्र प्रणाली से क

सौराठ हड़प्पन . Sorath Harappan

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  "सौराठ हड़प्पन" . "Sorath Harappan"  यूनिवर्सिटी ऑफ़ पेंसिल्वेनिया के    ग्रेगोरी पोशेल ने  सौराष्ट्र के पादरी साइट में पहली बार सिरेमिक के सुन्दर प्रयोग पाए. ये सुन्दर सिरेमिक के प्रयोग सौराष्ट्र अंचल में ही पाए  जा रहे थे. इस आधार  पर  "सौराठ  ( सौराष्ट्र ) हड़प्पन"  के नाम से इसे चिन्हित किया और बतलाया ये तकरीबन २६०० ईस्वी पूर्व के हैं .   ग्रेगोरी पोशेल की धारणा गलत तथा अशुद्ध थी . सत्य यह था पादरी जैसे स्थल द्वारिका के शासन अंतर्गत  थे . द्वारिका में ही उच्च स्तर के सिरेमिक प्रयोग फ्लोर निर्माण में पाए गए हैं जो अन्यत्र विश्व के प्राचीनतम सभ्यता में कहीं नहीं देखी गई. प्रस्तुत चित्र भगवान  कृष्ण के राजमहल के पास प्राप्त वे सिरेमिक के फ्लोर हैं जिनसे लगभग संपूर्ण द्वारिका पटी पडी है. उच्च स्तर के सिरेमिक निर्माण हाई स्पीड व्हील के होने का स्पष्ट संकेत  दे रहे हैं. इस खोज ने भारतीय सभ्यता के विषय  में  हो रहे भ्रामक अवधारणा को ख़ारिज कर दी है तथा उन सबों को कटघरे में खड़ी करती हैं जिन्होंने भारत के विषय में गलत अवधारणा दी . ( सन्दर्भ  - "डिस्कवरी ऑफ़ ल

Draught: Mahabharat-Mohenjodaro - सूखा : महाभारत - मोहनजोदड़ो

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महाभारत के बहुत सारे प्रकरण गहराई   से समझी नहीं गई है. महाभारत  भारत में एक लम्बे सूखे से परिचय करवाती है   जब नदी सूख गए, शहर या नगर खाली हो गए . मोहनजोदड़ो और हड़प्पा सूखे की विस्मृत कहानी है , जिसे भारत की महान जनता ने भुलाया नहीं. इसे याद रखा. महाभारत इसी सूखे की कहानी कहती है. वर्ष २००० में डॉ झा तथा डॉ राजाराम जी ने भी लैंडसैट सॅटॅलाइट के डाटा के आधार पर कही थी की भारत वर्ष में ३०० वर्षों तक एक विस्तीर्ण सूखा रही है जिसने भारत की सभ्यता को नष्ट कर दिया. मार्टीमर व्हीलर जैसे लोगों ने  सभ्यता नष्ट होने के लिए आर्य हमला  को मुख्य  आधार बनाया. प्रस्तुत चित्र मोहनजोदड़ो के वे प्राचीन पोर्ट हैं जो सूखे के चलते नष्ट हो  गई.  प्राकृतिक विक्षोभ से द्वारिका ३१०० ईस्वी पूर्व में डूब गई. इसके विपरीत तीन सौ वर्ष की भयानक सूखे की चपेट में लगभग १९०० ईस्वी पूर्व में मोहनजोदड़ो - हड़प्पा जैसे नगर नष्ट हो गए. महाभारत मात्र सूखे की शुरुआत के वर्षों की घटना जानती है. जो दर्ज है. .       The MB has not been examined in serious way as required.  The MB (189.31-33 ) gives a vivid passage of severe

Engineering: Hanging Garden. इंजीनियरिंग: हैंगिंग गार्डन

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                            The Hanging Gardens of Babylon ( 562 BC ) is listed as the Seven Wonders of the Ancient World. This is described as a remarkable feat of engineering with an ascending series of tiered gardens. The Babylonians are not the original inventor of this technique. The Dwarika hanging garden is more superior, better and stands in par excellence some 2500 years before the Babylonian. The Dwarika hangs structure in the air with series of gardens. This is now inside water. In the architect engineering such marvelous  feat has not been seen in any ancient world particularly civilized European countries. The principal, rule and technique as mentioned in the "Maya- Matam" ( ancient Architect engineering text book ) is exactly seen at the Dwarika.  When Europe was in the dark ages, Dwarika was at her Glory. This proves from India, the civilization spread to the outside world and taught the human mankind to remain in the decent way.         Beautiful stone murals

SURAT - THE TESTIMONY OF THE ANCIENT DWARIKA

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                                                The Dwarika White Stone Spread At Surat   जब प्राचीन द्वारिका के बंदरगाह अपने चरमतम अवस्था में थे उस समय सूरत को भी भगवान ने सजाया संवारा था. सामरिक और व्यापारिक दृष्टि से सूरत की घेरेबंदी द्वारिका को सुरक्षित रखने के लिए आवश्यक थी . सूरत के प्राचीन बंदरगाह जिसे कभी भगवान कृष्ण ने बसाया था, उसके अवशेष सूरत के समुद्र के नीचे मिलते हैं. सूरत में ही, प्राचीन द्वारिका से मुंबई जाने वाली विस्तृत दीवार की प्राचीन नींव अब भी देखने में मिलती है . द्वारिका निर्माण से भी अत्यंत प्राचीन काल के वनस्पति आज फॉसिल बन चुकी हैं, जो सूरत के प्राचीन तल में बिखरे पड़े हैं . ये पेड़ के फॉसिल कुछ वैसे ही है जैसे बाड़मेढ़ और जैसलमेर के रेगिस्तान में मिलती है. इसलिए पेड़ की फॉसिल , या लकड़ियों से की गई रेडियो डेटिंग काफी भ्रामक होती है. जो दोनों स्थिति बताती है . ये काफी प्राचीन पेड़ के टुकड़े हो सकते हैं या नए समय के लकड़ी के नाव के अवशेष भी हो सकते हैं. मैंने द्वारिका के रेडियो डेटिंग में इस तरह के भ्रामक सामग्री का उपयोग नहीं किया है . मैंने प्राचीन द्वारि