"कलि संवत 804 : सरस्वती नदी की एक उजड़े बस्ती की कहानी"
. ☝सरस्वती नदी की यह सूखी पेटी कलि संवत 804 में बह रही थी. पाकिस्तान की स्थानीय प्रजा आज भी इसे सरस्वती नदी ही कहते हैं ( आभार : पाकिस्तान के हशम हुसैन शेख साहब ) 3100 ईस्वी पूर्व ( 3100 BCE ) में द्वारका डूब गई. इस भौगोलिक परिवर्तन में एकाएक कच्छ के रण भी सूख गए. द्वारका डूबने के समय, सरस्वती नदी बह रही थी. सरस्वती की मुख्य तीन धारा सिरसा के पास विभजित होती थी. एक धारा हनुमानगढ़, कालीबंगन, पाकिस्तान के फोर्ट अब्बास, कच्छ के रण होते हुए पाकिस्तान के मीरपुरखास जिले में पहुँचती थी. कच्छ के रण, नमक में परिवर्तित हो जाने के कारण, कालीबंगन और मीरपुरखास जिले में पहुंचने वाली पानी बंद हो गई. यह विषम जलवायू परिवर्तन थी. हिमालय से लेकर कालीबंगन परिपथ की नदी भी सूख गई . पाकिस्तान के मीरपुरखास जिले, तहशील सिंडरो में सरस्वती नदी के किनारे एक बहुत बड़ी बस्ती थी, जो आज जमीन के नीचे पडी है. यहां विपुल मात्रा में सिरेमिक बर्तन तो मिले ही हैं साथ ही महत्वपूर्ण पुरालेख भी प्राप्त हुए हैं. ये पुरालेख संस्कृत भाषा में हैं तथा प्राचीन देवनागरी लिपि में लिखी है. इस पुरालेख के अंतिम वाक्