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Relation Between Bhagwan Krishna Dwarka City And The Bahrain's Dilmun Port - New Perspective On The Harappan Civilization ( With notes in Hindi & English )

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  भगवान कृष्ण की द्वारका नगर और अरब सागर के बहरीन बंदरगाह के बीच निश्चित व्यापारिक सम्बन्ध थे।  ये सम्बन्ध हड़प्पा नगर के जन्म होने के बहुत पहले से ही स्थित थी।  द्वारका डूबने के बाद यहाँ के लोगों ने जब हड़प्पा और मोहनजोदड़ो में नया नगर बसाया, उस समय भी द्वारका के विस्थापित  लोगों  ने  बहरीन के साथ इस व्यापारिक सम्बन्ध को यथावत रखा। बहरीन, भगवान कृष्ण के  द्वारका नगर के साथ अपने व्यापारिक सम्बन्ध को बहुत ही महत्त्व देता था।  इसलिए द्वारका में प्रवेश करने वाले राजमुद्रा चिन्ह बहरीन में  मिले हैं।  केनॉएर से लेकर एरनेष्ट मैके जैसे लोगों ने, संस्कृत नहीं जानने के कारण  अनर्गल और गलत टिप्पणी  इस राजमुद्रा के विषय में की है।  महाभारत के शांति पर्व में भगवान कृष्ण के इस त्रिमुख वराह  मुद्रा की सूचना  दी गई है। बहरीन और बेट द्वारका के ये दोनों राजमुद्रा   द्वारका में ही बने हैं , इसलिए बहरीन के व्यापारी , द्वारकानगर में प्रवेश करने के पूर्व , बेट-द्वारका में इस राजमुद्रा को दिखाते थे । इसलिए सुमेर के साहित्य का यह "मेलूह" द्वारका है न की हड़प्पा या मोहनजोदड़ो।  बहरीन के व्यापारियों का सम

Advancement of the Space Archaeology

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In 2000 the ISRO satellite, IRS-P4, first time used the OCM Camera Tool to examine the Gulf of Kutch. No body looked into the data, until Jha in the end period of 2000, studied seriously about the data. This tool separated the sea water and submerged islands in two distinct color. Other than the  red circled marked area, the entire land remains submerged under the sea. This is the Dwarka of Bhagwan Krishna.  During the last 75 years researches conducted around the archaeology and the history dealing with the ancient Indian history, have spoiled and is just only a piece of garbage. Untrained people sitting in archaeology and faculties, came up with poor researches. Without application of mind, they burned their fingers on the dirty British opinion and age chronology. The Britishers, were in India to rule the Indians, who draw their inspiration from the Vedas. The researchers have failed to take note of the vast archaeological truth and proof of the Mahabharat age, submerged under th