पाणिनि और भगवान कृष्ण की द्वारका
उत्तर वैदिक काल का प्रथम वैज्ञानिक ग्रन्थ पाणिनि की अष्टाध्यायी है. इस महान ग्रन्थ को द्वारका डूबने के कुछ वर्ष पहले लिखी गई थी. ज्ञात हो की द्वारका डूबने के बाद यहां के लोगों ने सारस्वत प्रदेश स्थित मोहनजोदड़ो की यात्रा की थी तथा यहां नए नगर का निर्माण किया था. इसलिए इस पुस्तक में द्वारका और सिंधु घाटी सभ्यता के नगरों के विशिष्ट सांस्कृतिक विवरण मिलते हैं. भगवान कृष्ण के समय भारत कैसी थी यह जानने का प्रयत्न गवेषकों ने कभी नहीं की। भगवान कृष्ण के समय ज्ञान का सूर्य भारत वर्ष के अनंत आकाश में चरमोत्कर्ष रूप में अवस्थित थी। महाभारत और पुराण के अतिरिक्त पाणिनि के अष्टाध्यायी ऐसे महत्वपूर्ण ग्रन्थ हैं जिनसे सर्वदा भगवान कृष्ण के समय के भारत के विषय में गहरी सूचना प्राप्त होती है। भगवान कृष्ण, योग सूत्र के प्रणेता पातंजली ( प्रथम ) और यास्क समकालीन हैं. यास्क ने भगवान कृष्ण के निर्देशन में कठिन वैदिक शब्दों की एक शब्दकोष तैयार की थी जिसे निघण्टु कही जाती है। यास्क ने पुनः इस पर निरुक्त भी लिखा। यह अभिक्रिया इसलिये की गई थी की स्वयं द्वारका काल में, भारतवर्ष में अनेक ऋग्