Posts

Showing posts from September, 2022

The Dwarka of Bhagwan Krishna In The Space Archaeology

Image
☝The Mahabharat exposed the Dwarka, as mentioned here in the red dotted lines around the confluence of the River Sarasvati. But nobody examined it seriously. This speaks the poor condition of our young youths, who mostly are cut-off from their roots and brings a grim picture of the establishments, who were  responsible for writing correct history of India.  Ancient literatures Mahabharata, Harivans, Skanda Puran, Vishnu Puran have mentioned about Bhagwan Krishna and His Dwarka. The archaeological evidence of Bhagwan Krishna and His Dwarka have disturbed at 360 degree angle,  the established & bogus colonial history of India. This has disturbed the idea and concept of John Marshall's defective terminology on the Indus Valley Civilization. Starting from the Vedic times the location of Mathura and Kurukshetra are perhaps least undisputed. But, nobody tried to examine our ancient literatures to hit at the right location. The Dwarka of Bhagwan Krishna has inherent relation with the

"लक्ष्मण - जोदड़ो" एक रिपोर्ताज

Image
   सिंध के "मोहन-जोदड़ो" के पास स्थित  स्थल  "लक्ष्मण - जोदड़ो" आज समाप्ति के मुहाने पर खड़ी है. इसकी आवाज दब चुकी है. यह स्थल विलुप्त हो चुकी है. "मोहन-जोदड़ो" और "लक्ष्मण - जोदड़ो" विशुद्ध हिन्दू नाम हैं . ये हिन्दू नाम बतलाते हैं की इस स्थल के निर्माण के पहले भारतवर्ष में भगवान  कृष्ण और भगवान राम का अवतरण हो चुकी है. "लक्ष्मण - जोदड़ो",  बहुत विशाल क्षेत्र में फैली थी . यह किसी भी अवस्था में "मोहन - जोदड़ो" से कम नहीं  थी. "मोहन-जोदड़ो" और "लक्ष्मण - जोदड़ो"  साथ साथ  विकसित हुए . ये दोनों सभ्यता एक वृक्ष के दो पत्ते थे . "मोहन-जोदड़ो"  और "लक्ष्मण - जोदड़ो"  को अंग्रेजों ने आसपास खोजा था . भारत के लोग "मोहन-जोदड़ो"  तो जानते हैं पर वे  "लक्ष्मण - जोदड़ो" नहीं जानते ! तेजी से बढ़ रही औद्योगिक करण ने  "लक्ष्मण - जोदड़ो" को निगल लिया है . बहुत सारे उद्योग समूह के बीच "लक्ष्मण - जोदड़ो"  है . कोई भी पुरानी चीज जान बूझ कर नष्ट कर दी जाती है . उद्योग के निर्माण में