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Showing posts from June, 2021

The Dwarika Chariot Seal

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  The wide importance of the saddled horse at Dwarika shows that the Dwarika military was using at a time four horses in the chariot. This was the fast movement car at that time for aggressive battle. The Dwarika  Chariot Seal is given here, which is now at Hong-Kong.   This Chariot Seal is  entirely from the Dwarika, as there is wide use of ceramic in this Chariot Seal.  This has the  clear implication of the Kurukshetra war, indicating four different  but favorite, best and faithful  horses of Arjun. Surprisingly Bhagwan Krishna has also four horse drawn chariot. This is showing either the chariot of Bhagwan Krishna or Arjuna. The extensive use of ceramic in the chariot seal make it 100% native to Dwarika. The four horses shown in the chariot seal are similar to the Dwarika horse. This is apparently Krishna and Arjuna in the battlefield built after the MB war 3138 BCE. The Dwarika Seal Chariot - Four Horses  shown above is the same Dwarika Horse found at the Dwarika Island. The wheel

Bet-Dwarka - The Unexplored Land

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                                                                                                                                                                                                                                * BIRENDRA K JHA  (  बेट-द्वारका सील, हरिवंश पुराण में वर्णित पासपोर्ट, भगवान कृष्ण का प्रतीक चिन्ह था जैसा कि महाभारत - मोक्ष धर्म - शांति पर्व श्लोक 93 में वर्णित है। यह सील स्पॉट 5 से प्राप्त  की गई है।  अंग्रेजी संस्करण के  बाद  तस्वीरें देखें ।  The Bet-Dwarka Seal, the passport mentioned in the Harivansh Puran, was the Icon Symbol of Bhagwan Krishna as mentioned in the Mahabharat - Moksha Dharma - Santi Parva Shloka 93. This seal has been recovered from the Spot 5 - See photographs provided after the English version. )   अस्सी के दशक में डॉ अस आर राव साहब ने सब कुछ दांव पर लगा कर भगवान कृष्ण की सभ्यता खोजने का उपक्रम किया था।     दुर्भाग्य से यहाँ भी यह खोज राजनीति के गंदे दलदल में डूब गई।   उनके आगे की खोज को भारत सरकार ने बंद कर दिया, क्योंकि वे भगवान कृष्ण

चंद्रभागा : भगवान कृष्ण और उनका सूर्य मंदिर

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  Before reading correct the age lines: Chandragupta Maurya -1516 BCE; Mahabharat War -3138 BCE; Dwarika - 3200 BCE   हमने  अपने भारत  और कृष्ण   को कम ही जाना है. मोहनजोदड़ो का प्रख्यात स्नानागार ईसाइयों की दृष्टि में मात्र स्नानागार है . लेकिन  ईसाइयों  से अधिक  हानि इतिहास तथा पुरातत्व में कार्य करने वाले लोगों ने की है. पाकिस्तान समर्थित "हड़प्पा.कॉम" तथा भारत के सोसियल मीडिया समूह "हड़प्पन आर्कियोलॉजी" भारत  तथा इसके प्राचीन सभ्यता के विषय में अनर्गल विष वमन करते हैं. अबोध भारतीय चुपचाप इसे सहन करते हैं .  भारत वर्ष में सूर्य मंदिर बनाने का प्रचलन भगवान  कृष्ण ने शुरू की.  मोहनजोदड़ो का प्रख्यात स्नानागार प्राचीन सूर्य मंदिर का कुंड है न की कोई स्नानागार. यह  सूर्य मंदिर वहीं था जहॉं आजकल के बौद्ध इसे बौद्ध स्तूप बतलाते हैं. यह मंदिर गुजरात के मोढ़ेरा या  बिहार स्थित औरंगाबाद के सूर्य मंदिर जैसा ही था.  मोहनजोदड़ो का सूर्य मंदिर भगवान कृष्ण के द्वारा स्थापित १२ सूर्य मंदिरों में एक था. मोहनजोदड़ो का सूर्य स्तम्भ बनारस के उत्तरार्क सूर्य स्तम्भ की तरह ही गोल स्तम्भ ह